कोरी कोली समाज का इतिहास

कोरी कोली समाज का इतिहास।।

यह आलेख गुजराती में लिखे मुख्यतः तीन प्रकाशनों पर आधारित है.
 ‘भारत का एक प्राचीन कबीला – कोली कबीले का इतिहास’ – इस पुस्तक का संपादन श्री बचूभाई पीतांबर कंबेद ने किया था और भावनगर के श्री तालपोड़ा कोली समुदाय ने प्रकाशित किया था
(पहला संस्करण 1961 और दूसरा संस्करण 1981),
1979 में ‘बॉम्बे समाचार’ में प्रकाशित श्री रामजी भाई संतोला का एक आलेख और डॉ. अर्जुन पटेल द्वारा 1989 में लिखा एक विस्तृत आलेख जो उन्होंने 1989 में हुए अंतर्राष्ट्रीय कोली सम्मेलन में प्रस्तुत करने के लिए तैयार किया था.
भगवान वाल्मीकि और उनकी रामायण प्राचीनतम राजा मन्धाता,
 एक सर्वोपरि और सार्वभौमिक राजा था जिसका प्रताप भारत में सर्वत्र था और जिसके शौर्य और यज्ञों की कथाएँ मोहंजो दाड़ो (मोहन जोदड़ो) के शिलालेखों पर अंकित हैं,
वे इसी कबीले के थे. प्राचीनतम और पूज्य ऋषि वाल्मीकि जिन्होंने रामायण लिखी वे इसी कबीले से थे.
महाराष्ट्र राज्य में आज भी रामायण को कोली वाल्मीकि रामायण कहा जाता है. रामायण की शिक्षाएँ भारतीय संस्कृति का आधार हैं.
 ईश बुद्ध ईश बुद्ध की पत्नी कोली कबीले से थी. महान राजा चंद्रगुप्त मौर्य और उसके कुल के राजा कोली कबीले के थे. संत कबीर, जो पेशे से जुलाहे थे,

कई भजनों में लिखा है- “कहत कबीर कोरी”, उन्होंने स्वयं को कोरी कहा है.

सौराष्ट्र के भक्तराज भदूरदास और भक्तराज वलराम, जूनागढ़ के गिरनारी संत वेलनाथजी,
भक्तराज जोबनपगी, संत श्री कोया भगत, संत धुधालीनाथ, मदन भगत, संत कंजीस्वामी जो 17वीं और 18वीं शताब्दी के थे, ये सभी कोली कबीले के थे.

 उनके जीवन और ख्याति के बारे में 'मुंबई समाचार', 'नूतन गुजरात', 'परमार्थ' आदि में छपे आलेखों से जानकारी मिलती है. महाराष्ट्र राज्य में शिवाजी के प्रधान सेनापति और कई अन्य सेनापति इसी कबीले के थे.

‘A History of the Marathas ’ (मराठा इतिहास) मुख्यतः मराठा और कोलियों से भरी शिवाजी की सेना का शौर्य गर्वपूर्वक कहता है.

शिवाजी का सेनापति तानाजीराव मूलसरे जिसे शिवाजी हमेशा ‘मेरा शेर’ कहा करते थे, एक कोली था. जब तानाजी ‘कोडना गढ़’ को जीतने के लिए लड़ी लड़ाई में शहीद हुआ तो शिवाजी ने उसकी स्मृति में उस किले का नाम बदल कर ‘सिंहढ़’ रख दिया.

सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्रम में बहुत सी कोली महिला योद्धाओं ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के प्राण बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उनमें एक उसकी बहुत करीबी साथी थी जिसका नाम झलकारी बाई था. इस प्रकार कोली समाज ने देश और दुनिया को महान बेटे और बेटियाँ दी हैं जिनकी शिक्षाओं का सार्वभौमिक महत्व और प्रासंगिकता आज आधुनिक जीवन में भी है.

हमारे प्राचीन राजा मन्धाता की कथा ओंकारनाथेश्वर में मन्धाता मंदिर कहा जाता है कि श्री राम का जन्म मन्धाता के बाद 25वीं पीढ़ी में हुआ था.

एक अन्य राजा ईक्ष्वाकु सूर्यवंश के कोली राजाओं में हुए हैं अतः मन्धाता और श्रीराम ईक्ष्वाकु के सूर्यवंश से हैं. बाद में यह वंश नौ उप समूहों में बँट गया, और सभी अपना मूल क्षत्रिय जाति में बताते थे.

इनके नाम हैं: मल्ला, जनक, विदेही, कोलिए, मोर्या, लिच्छवी, जनत्री, वाज्जी और शाक्य. पुरातात्विक जानकारी को यदि साथ मिला कर देखें तो पता चलता है कि मन्धाता ईक्ष्वाकु के सूर्यवंश से थे और उसके उत्तराधिकारियों को ‘सूर्यवंशी कोली राजा’ के नाम से जाना जाता है.
कहा जाता है कि वे बहादुर, लब्ध प्रतिष्ठ और न्यायप्रिय शासक थे. बौध साहित्य में असंख्य संदर्भ हैं जिससे इसकी प्रामाणिकता में कोई संदेह नहीं रह जाता. मन्धाता के उत्तराधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हमारे प्राचीन वेद, महाकाव्य और अन्य अवशेष उनकी युद्धकला और राज्य प्रशासन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हैं.

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 हमारी प्राचीन संस्कृत पुस्तकों में उन्हें कुल्या, कुलिए, कोली सर्प, कोलिक, कौल आदि कहा गया है. प्रारंभिक इतिहास – बुद्ध के बाद वर्ष 566 ई.पू. के दौरान, जब हिंदू धर्म निर्दयी हो चुका था और पूर्णतः पतित हो चुका था, तब राजकुमार गौतम जिसे बाद में विश्व ने बुद्ध (the enlightened one) के रूप में जाना, का जन्म उत्तर-पश्चिमी भारत में हिमायलन घाटी में रोहिणी नदी के किनारे हुआ. ईश बुद्ध की माता महामाया एक कोली राजकुमारी थीं. ईश बुद्ध की शिक्षा को ऊँची जाति के हिंदुओं के निहित स्वार्थ के लिए ख़तरे के तौर पर देखा गया. शीघ्र ही बुद्ध की शिक्षाओं को भारत से पूरी तरह बाहर कर दिया गया.

ऐसा प्रतीत होता है कि कोली साम्राज्यों का बुद्ध से संबंध और प्रेम होने के कारण उन्हें सबसे अधिक अत्याचार सहना पड़ा. यद्पि अधिकतर लोगों ने बौध शिक्षा को नहीं अपनाया था लेकिन अन्य ने उन्हें दूर किया और शासकों ने भी उनकी उपेक्षा की.

Subcast Of Koli (कोली जाती की उपजातीयां)- 1.माहौरकर (Mahaurkar),
2. मांधाता पटेल (Mandhata Patel),
3.सिपाही (Sipahi) (Muslim Kolis),
4. सालुंके (Salunkhe),
5. गंगा पुत्र (Ganga Putra),
6. महावर (Mahawar),
7. माहौर (Mahaur),
8. पाटिल (Patil),
9. पटेल (Patel),
10. डाभी (Dabhi),
11. चुडासामा (Chudasama),
12. ठक्कर (Thakkar),
13. ठाकोर (Thakor),
14. पाटीदार (Patidar),
15. ठाकरदा (Thakarda),
16. बारिया (Baria),
17. अम्बिगा (Ambiga),
18. अम्बिगर (Ambiger),
19. सरवैया (Sarvaiya),
20. पाटनवाडिया (Patanwadia),
21. तलपड़ा (Talpada),
22. जेठवा (Jethava),
23. खांत (khant),
24. परमार (Parmar),
25. मकवाना (Makwana),
26. सूर्यवंशी (Suryawanshi),
27.कमलवंशी (kamalvanshi),
28. शाक्या ((Shakya),
29. शाक्यवाल (Shakyawal),
30. शाक्यवार (Shakyawar),
31. मुदिराजा (Mudiraja),
32. मुथरैयार (Mutharaiyar),
33. शियाल (Shiyal),
34. चौहान (Chauhan),
35. शंखवार (Shankhwar),
36. भगत (Bhagat),
37. जादव (Jadav),
38. जाधव (Jadhav),
39. कबीरपंथी (kabirpanthi),
40. पंथी (Panthi),
41. कश्यप (kashyap),
42. कुशवाहा (kushwaha),
43. कोलीसोन (kolison),
44. महादेव (Mahadeo),
45. मतिया ( Matia),
46. वैती (Vaity),
47. मंगेला (Mangela),
48. बंडोलिया (Bandolia),
49. तन्तुवाय (Tantuvay),
50. तान्ती (Tanti),
51. खरवा (kharwa),
52. चुवलिया (Chuvaliya),
53. राठवा (Rathwa),
54. घेडिया (Ghedia),
55. पागी (Pagi),
56. सकवार (Sakwar),
57. सकरवाल (Sakarwal),
58. मल्हार (Malhar),
59. डोंगर (Dongar),
60. परकारी (Parkari),
61. वाडियारा (Wadiyara),
62. भुइयार (Bhuiyar),
63. पटेलिया (Patelia),
64. ऐरवार (Airwar),
65. कैथिया (kaithia),
66. राठदा (Rathda),
67. कब्बालिगा (kabbaliga),
68. गोहिल (Gohil),
69. राठोड (Rathod),
69. चावडा (Chavada),
70. वासावा (Vasava),
71. मेर (Mer),
72. अराया (Araya),
73. मुक्कुवा (Mukkuva),
74. वाघेला (Vaghela),
75. भोई (Bhoi),
76. नाइक (Naik),
77. वाधेर (Vadher),
78. टोकरे (Tokre),
79. भुंईयार (Bhuiyar),
80. बुनकर (Bunker),
81. कैथवार (Kaithwar).
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